000 | 01062nam a2200145Ia 4500 | ||
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005 | 20250512165656.0 | ||
041 | _aMAR | ||
100 | _aकुमुदिनी भार्गव | ||
245 | 0 | _aचला नाती जपूया........ | |
250 | _aSecond | ||
260 |
_bनिर्मलकुमार सूर्यवंशी निर्मल प्रकाशन _c2019 _a कृष्णाई, नरहर कुरुंदकर मार्ग, कैलासनगर, नांदेड - ४३१६०५ |
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300 |
_a120 _bPaperback |
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520 | _aकाळाच्या प्रत्येक टप्प्यावर बदल घडताना, नाते संबंधावरही त्याचा परिणाम झाला आहे आणि होतो आहे. हे नक्की ! परंतु काही नाती जपण्याला आजही पर्याय नाही . म्हणूनच नात्यांविषयी हे हितगुज. | ||
942 | _cBK-JPIP | ||
999 |
_c4720 _d4720 |