000 | 01130nam a2200157Ia 4500 | ||
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005 | 20250603111233.0 | ||
041 | _aMAR | ||
082 | _b/बर् | ||
100 | _aबर्वे राजेंद्र | ||
245 | 0 |
_aयातून मार्ग काय ? _bनातेसंबंध आणि समस्या |
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250 | _aSECOND | ||
260 |
_bमनोविकास प्रकाशन _c2008 _aपुणे |
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300 |
_a176 _bPaperback |
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520 | _aमाणसाच मान मुळातच अतिशय गुंतागुंतीचे असतं. मनाच्या अशा गुंतागुंती पेक्षा अधिक गुंतागुंत असते ती मानवी नाते संबंधात. हि गुंतागुंत सोडवता येते का ? या गुंतागुंतीचे धागे सरल्सुत होतात का? यातून मार्ग सापडतो का? .. तर Yes, Its Possible! .. यासाठी हे पुस्तक वाचावे | ||
942 | _cBK-JPIP | ||
999 |
_c4003 _d4003 |