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त्रिकाण्डमण्डण (प्रथमं तृतीयं काण्डंच - आपस्तंबसूत्रकारिका

आपस्तंबसूत्र - भास्करमित्र सोमयाजी

त्रिकाण्डमण्डण (प्रथमं तृतीयं काण्डंच - आपस्तंबसूत्रकारिका - 24|||| X 10|| C.M 111 P.

अक्षर अतिशय सुंदर व्यवस्थितपणा, समास आखलेले


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